आवाज़ घर में आपका स्वागत है
एक स्वतंत्र पुस्तक प्रकाशन और साहित्यिक मंच
कल्पना कीजिए कि दो लोग एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, लेकिन सुन नहीं रहे।
दोनों शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, फिर भी अर्थ खो रहा है।
आज के समय में लेखन और संवाद अक्सर इसी मोड़ पर आकर रुक जाते हैं।
आवाज़ घर की शुरुआत इसी सवाल से हुई —
क्या शब्दों को फिर से ईमानदार बनाया जा सकता है?
शब्द तब अर्थ पाते हैं,
जब उन्हें कहने से ज़्यादा,
समझने की कोशिश की जाए।
आवाज़ घर एक ऐसा स्थान है जहाँ लेखन को सिर्फ सामग्री नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी माना जाता है।
हम लेखकों को मंच देते हैं, किताबों को पहचान देते हैं और पाठकों को ऐसी रचनाएँ देते हैं जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, भीतर तक जाती हैं।
हमारा उद्देश्य किताबें भरना नहीं,
अच्छी किताबें सामने लाना है।
हम नए और अनुभवी लेखकों के साथ मिलकर उनकी पांडुलिपि को किताब का रूप देते हैं —
संपादन से लेकर प्रकाशन और पाठकों तक पहुँचाने तक।
आवाज़ घर में लेखन व्यापार नहीं, संवाद है।
और हर संवाद सम्मान से शुरू होता है।
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Hotline: +91 93295 56503
TESTIMONIALS
जो पढ़कर कहा गया
एक पाठक के तौर पर मुझे यहाँ ऐसी किताबें मिलीं जो सच्ची और ज़मीनी हैं। यह साफ दिखता है कि हर किताब के पीछे मेहनत और सोच होती है।
पंकज शर्मा
/ पाठक
आवाज़ घर बाकी प्लेटफॉर्म्स से अलग इसलिए लगा क्योंकि यहाँ शब्दों को जल्दी में नहीं परखा जाता। यहाँ लिखने वालों की आवाज़ सुनी जाती है, और यही बात सबसे ज़्यादा मायने रखती है।
अंजलि राय
/ कवियत्री
मैंने पहले भी पब्लिशिंग के बारे में सुना था कि सब कुछ confusing होता है, लेकिन आवाज़ घर ने प्रक्रिया को साफ और आसान बना दिया। संपादन से लेकर प्रिंट तक, हर चीज़ समझ के साथ हुई।
सागर शुक्ल
/ स्वतंत्र लेखकJoin the community
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