बरसो से रूठे किसी दोस्त की आवाज को आधी रात में फोन पर सुनना है
लिखना किसी पुराने मुफस्सिल से खत को दोबारा पढ़ना है...
लिखना शदीद इंतज़ार में बैठे किसी बूढ़े बाप को परदेस में बैठे उसके बेटे के नाम से मुस्तकिल कुछ रकम भेजना है…
लिखना रतजगों को इकठ्ठा कर खामोश खड़े दरख्तों के बीच ले जाकर उनकी नींद वापस करना है….
लिखना तसव्वुरो में यकीन बचाये रखना है…
लिखना किसी जुलाई में दिसंबर ढूंढना भी है….