उस रोज भी शदीद बारिश थी ,सुबह के तीन बजे थे , रात कहना शायद ज्यादा मुनासिब होगा। एयरपोर्ट जाने से पहले मै तुम्हारे हॉस्टल आयी थी ,पापा से मैंने हॉस्टल चलने को कहा तो वे कुछ बोले नहीं थे , ना उन्होंने कुछ पूछा था। सीधे गाडी मोड़ दी थी। अचानक यूँ उस वक़्त देख तुम हैरान हो गए थे
“सब ठीक है ” उनीदी आँखों को मलते हुए तुमने पूछा था।
“जा रही थी सोचा तुम्हे आखिरी बार देखती चलूँ “
तुम अजीब से हो गए थे !
“सारा” तुमने मुझे गले लगाना चाहा था
“नहीं” मै पीछे हट गयी थी।
मै अपने आप को कमजोर नहीं करना चाहती थी। ख़ास तौर से नीचे गाडी में बैठे पापा के सामने !
“क्यों कर रही हो ऐसा “
तुम्हारे लिए नहीं ,अपने लिए
“तुम …..तुम आयी कैसे हो ?
“पापा नीचे गाड़ी में है “
तुम शॉक्ड हो गये थे।
“डोंट वरी वो तुमसे कुछ नहीं कहेगे।”
मै ज्यादा देर वहां रुकना नहीं चाहती थी ना ही वक़्त ने इतनी सहूलियत दी थी।
मै सीढ़ियों की तरफ बढ़ी तुम मेरे साथ आने लगे थे
मैंने तुम्हे मना किया था
“प्लीज़ “
तुमने मेरी आँखों में देखा फिर जाने क्या सोचकर ठहर गये थे।
“टेक केयर” तुमने कहा था !
मै धड़धड़ाती हुई सीडिया उतर गयी थी। दिल को जाने जैसे किसी चीज़ ने जकड रखा था ,एक अजीब सा वैक्यूम मेरे सीने में भर गया था , अजीब सा ,
गाडी में बैठते ही मैंने पापा से कहा था “चलिये ”
मै पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहती थी।
“तुम ठीक हो” पापा ने पूछा था।
मैंने” हाँ “में गर्दन हिला दी थी
पापा और मै दोनों जानते थे मै झूठ बोल रही हूँ !
रुखसत के उस लम्हे मै पापा से लिपटकर जार जार रोना चाहती थी। मोहब्बत जब्त करना सिखा देती है।
एयरपोर्ट पर बाकी घरवालों से अलग पापा मुझसे अकेले में पूछा था
“तू नहीं जाना चाहती तो …..”
पर मुझे जाना था,अपने लिए।
तुम्हारे मिजाज़ से मै जानती थी तुम गिल्ट में होंगे ,मेरे ऐसा करने से तुम्हारी गिल्ट बढ़ेगी। पर मेरी जब्त की भी हदे है। मै तुमसे नाराज नहीं थी।
तुमने मुझसे कभी नहीं कहा था तुम्हे मुझसे मोहब्बत है। मुझे भी तुमसे नहीं थी। जब निखिल से मेरा ब्रेक अप हुआ मै गुस्से में थी ,इंतकाम में। मैंने उसके लैंड लाइन में देर रात जान बूझ कर फोन किये , उसकी कार में स्क्रेच लगाये , उसकी मोटरसाइकिल सीट पर चाकू मारे।
कुछ महीनो बाद तुम मिले थे। तुम्हारा भी नीरजा से ब्रेकअप हुआ था आहिस्ता आहिस्ता मै तुम्हारे साथ वक़्त गुजारने लगी ,मुझे निखिल को साबित करना था।
`उस रोज जब हम फिल्म देखकर लौट रहे थे मैंने तुम्हे किस करना चाहा था
तुम पीछे हट गये थे !
“मै तुमसे प्यार नहीं करता “तुमने कहा था ….
तुम्हारी साफगोई मुझे पसंद आयी थी।
“मै कहाँ करती हूँ “मैंने कहा था और तुम्हारे होठ चूम लिए थे !
फिर एक रोज तुम परेशां से दिखे कई मर्तबा पूछने के बाद तुमने कहा था
“मुझे खुद पर एतबार कम है तुम्हारे नजदीक रहता हूँ तो जमीर भी इम्तिहान लेता है “
मैंने तुम्हारे होठ फिर चूम लिए थे। इंतकाम में मै भी सफ्फाक हो गयी थी।
फिर मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी ,मेरे ना चाहने के बावजूद। मुझे मोहब्बत से नफरत थी। मै वापस उस दर्द से गुजरना नहीं चाहती थी।
मैंने तुमसे सिर्फ एक दफे कहा तुमने वही दोहराया जो सच था। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं थी ,मेरी लड़ाई मुझसे थी इसलिए मैंने शादी को हाँ कह दी।
जिस शहर में रहती हूँ उस शहर की फितरत अजीब है आधे शहर में धूप रहती है आधे में बारिश ! मिहिर बहुत अच्छा है। मेरे हिस्से में आज सुबह से बारिश है। तुम्हे कहना चाहती हूँ मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है !
- डॉ. अनुराग आर्य