Poetry

Us ek Akele Makan Mein

280.00

चॉकलेट खाने का सिलसिला

चलता ही रहता था

के बीच में आ टपके थे

२६ जनवरी और १५ अगस्त जैसे दिन

तब तक तो बेहद गरम हो जाना चाहिए था तंदूर

उस एक अकेले मकान में

Man Banjara

260.00

जब वक़्त के दरमियाँ ख्यालों का दरिया गुज़रता है तो किनारे पर यादें डेरा डाल लेती हैं और मन बंजारा हो जाता है , दूर तक जाती पगडंडियों में खो जाता है और शाम ढले लौट आता ये सुबह का भूला सूरज रिश्तों और एहसासों के साथ मन की पड़ताल करता डॉ. मनीषा तिवारी का यह पहला कविता संग्रह है l

Tedhi Medhi Lakeeren

270.00

जैसे भारत की आज़ादी को समझने के लिए उसके विभाजन के बारे में जानना ज़रूरी है, उसी प्रकार विभाजन को अगर सही अर्थों में जानना है तो सीमा रेखा की यात्रा बहुत ज़रूरी है, हालाँकि आम आदमी के लिए उस रेखा पर घूमना-फिरना —  फिर चाहे पंजाब हो या बंगाल न तो आसान है, न ही हमेशा संभव, फिर भी कवि ह्रदय बिश्वनाथ घोष की इच्छा शक्ति ने इस यात्रा को संभव बनाया। उन्होंने बटंवारे के बाद के दर्द को, अर्थ को, त्रासदी, निरर्थकता और विवशता को, इन कविताओं के ज़रिए जिया है, जो उन्होंने सीमा रेखा पर अपनी यात्राओं के दौरान रची हैं। इसी वजह से यह कविताएं और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।