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शांति वार्ता

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और अंत में हमने इंसानियत का हवाला दिया
हमें यक़ीन था कि अब वह निरुत्तर हो जाएगा
लेकिन वह ठठाकर हँसा
इंसानियत उसके लिए सबसे कमज़ोर तर्क था
सबसे हास्यास्पद।

हमने बहुत अरमान से उसे तानाशाह कहा
कि उसकी आँख नीची होगी
पर उसकी छाती और फूल गई
यह उसके लिए उपाधि थी।

हमने चिल्लाकर कहा हत्यारे हो तुम
वह गर्व से मुस्कुराया
जैसे कि हमने उसकी तारीफ़ की हो

हमने कहा
कि तुम वक़्त में पीछे की तरफ़ जा रहे हो
तुम्हारा मुँह उल्टी दिशा में है
तुम कहीं नहीं पहुँचोगे
उसने कहा मेरे साथ पूरा देश है
मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता।

 

आर. चेतन क्रांति
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आर. चेतन क्रांति

आर. चेतनक्रांति (जन्म: 1968) हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। उनके दो कविता-संग्रह ‘शोकनाच’ और ‘वीरता पर विचलित’ शीर्षक से प्रकाशित होकर कविता-विमर्श के केंद्र में रहे हैं। वह दिल्ली में रहते हैं। उनसे rchetankranti@gmail.com पर बात की जा सकती है।

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