Author: प्रतिभा कटियार

  • Home

विदा

‘कुछ तार कभी टूटते नहीं हैं. कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें. उन्हें लाख आश्वासन भी क्यों न दें कि अभी तोड़ रहे हैं, पर बाद में गाँठ बांधकर फिर से जोड़ सकते हैं, पर वह मानते नहीं हैं. सारे तनाव, खिंचाव के साथ वह भीतर कहीं बहुत महीन त्रासदी के साथ जुड़े रहते […]

Read more