Blog

awaazghar

एक कलश भर अस्थि
बस यही हमारी हस्ती
निशानी छोड़ जाओगे काग़ज़ी
जो धुल जाएगी,घुल जाएगी
काल के बहते पानी में

तो क्यों हो परेशान
जब बह ही जाना है
तो क्यों जमाना पाँव
बस तैयार रखो नाव

 

बिश्वनाथ घोष
जियो बनारस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *