तैयार रखो नाव – जियो बनारस बिश्वनाथ घोष December 21, 2025 0 Comments काव्य 0 एक कलश भर अस्थि बस यही हमारी हस्ती निशानी छोड़ जाओगे काग़ज़ी जो धुल जाएगी,घुल जाएगी काल के बहते पानी में तो क्यों हो परेशान जब बह ही जाना है तो क्यों जमाना पाँव बस तैयार रखो नाव बिश्वनाथ घोष जियो बनारस Share: